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आदर्श विद्यार्थी 

विद्यार्थी का अर्थ है - विद्या पाने वाला। आदर्श विद्यार्थी वही है जो सीखने की इच्छा से ओतप्रोत हो, जिसमें ज्ञान पाने की ललक हो। विद्यार्थी का सबसे पहला गुण है - जिज्ञासा । वह नए - नए विषयों के बारे में नई जानकारी चाहता है। वह केवल पुस्तकों और दूसरों के भरोसे नहीं रहता, अपितु स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। सच्चा छात्र  कठोर जीवन जीकर तपस्या का आनंद उठाते हुए ज्ञान प्राप्त करता है। आदर्श छात्र अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेलकूद, व्यायाम आदि अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठता है। आदर्श छात्र फैशन और तामझाम की दुनिया से दूर रखता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। वह केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। गाना, अभिनय, एन. सी. सी. स्काउट, खेलकूद, भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भाग लेकर आनंद की प्राप्ति करता है। ठीक ही कहा गया है|

विद्यार्थी को सुख कहाँ, 

सुखार्थि को विद्या कहाँ।

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