hindiperiod.comSep 9, 20201 min readसरफरोशी की तमन्ना - राम प्रसाद बिस्मिलसरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में हैऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैवक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में हैखेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,आशिक़ोँ का आज जमघट कूच-ए-क़ातिल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।है लिये हथियार दुश्मन, ताक में बैठा उधरऔर हम तैय्यार हैं; सीना लिये अपना इधर।खून से खेलेंगे होली, गर वतन मुश्किल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।हाथ, जिन में हो जुनूँ, कटते नहीं तलवार से;सर जो उठ जाते हैं वो, झुकते नहीं ललकार से।और भड़केगा जो शोला, सा हमारे दिल में है;सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।हम तो निकले ही थे घर से, बाँधकर सर पे कफ़नजाँ हथेली पर लिये लो, बढ चले हैं ये कदम।जिन्दगी तो अपनी महमाँ, मौत की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल, कह रहा है बार-बार;क्या तमन्ना-ए-शहादत, भी किसी के दिल में है?दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब;होश दुश्मन के उड़ा, देंगे हमें रोको न आज।दूर रह पाये जो हमसे, दम कहाँ मंज़िल में हैवह जिस्म भी क्या जिस्म है, जिसमें न हो ख़ून-ए-जुनूँ;तूफ़ानों से क्या लड़े जो, कश्ती-ए-साहिल में है।सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है;देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में हैऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैवक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में हैखेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,आशिक़ोँ का आज जमघट कूच-ए-क़ातिल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।है लिये हथियार दुश्मन, ताक में बैठा उधरऔर हम तैय्यार हैं; सीना लिये अपना इधर।खून से खेलेंगे होली, गर वतन मुश्किल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।हाथ, जिन में हो जुनूँ, कटते नहीं तलवार से;सर जो उठ जाते हैं वो, झुकते नहीं ललकार से।और भड़केगा जो शोला, सा हमारे दिल में है;सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।हम तो निकले ही थे घर से, बाँधकर सर पे कफ़नजाँ हथेली पर लिये लो, बढ चले हैं ये कदम।जिन्दगी तो अपनी महमाँ, मौत की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल, कह रहा है बार-बार;क्या तमन्ना-ए-शहादत, भी किसी के दिल में है?दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब;होश दुश्मन के उड़ा, देंगे हमें रोको न आज।दूर रह पाये जो हमसे, दम कहाँ मंज़िल में हैवह जिस्म भी क्या जिस्म है, जिसमें न हो ख़ून-ए-जुनूँ;तूफ़ानों से क्या लड़े जो, कश्ती-ए-साहिल में है।सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है;देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है।