नर हो न निराश करो मन कोकुछ काम करो कुछ काम करोजग में रहके निज नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन कोनर हो न निराश करो मन को ।संभलो कि सुयोग न जाए चलाकब व्यर्थ हुआ सदुपाय भलासमझो जग को न निरा सपनापथ आप प्रशस्त करो अपनाअखिलेश्वर है अवलम्बन कोनर हो न निराश करो मन को ।
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँफिर जा सकता वह सत्त्व कहाँतुम स्वत्त्व सुधा रस पान करोउठके अमरत्व विधान करोदवरूप रहो भव कानन कोनर हो न निराश करो मन को ।
निज गौरव का नित ज्ञान रहेहम भी कुछ हैं यह ध्यान रहेसब जाय अभी पर मान रहेमरणोत्तर गुंजित गान रहेकुछ हो न तजो निज साधन कोनर हो न निराश करो मन को ।