hindiperiod.comSep 10, 20201 min readखिलौनेवाला | सुभद्राकुमारी चौहानखिलौनेवाला / सुभद्राकुमारी चौहानवह देखो माँ आजखिलौनेवाला फिर से आया है।कई तरह के सुंदर-सुंदरनए खिलौने लाया है।हरा-हरा तोता पिंजड़े मेंगेंद एक पैसे वालीछोटी सी मोटर गाड़ी हैसर-सर-सर चलने वाली।सीटी भी है कई तरह कीकई तरह के सुंदर खेलचाभी भर देने से भक-भककरती चलने वाली रेल।गुड़िया भी है बहुत भली-सीपहने कानों में बालीछोटा-सा 'टी सेट' हैछोटे-छोटे हैं लोटा थाली।छोटे-छोटे धनुष-बाण हैंहैं छोटी-छोटी तलवारनए खिलौने ले लो भैयाज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।मुन्नू ने गुड़िया ले ली हैमोहन ने मोटर गाड़ीमचल-मचल सरला करती हैमाँ ने लेने को साड़ीकभी खिलौनेवाला भी माँक्या साड़ी ले आता है।साड़ी तो वह कपड़े वालाकभी-कभी दे जाता हैअम्मा तुमने तो लाकर केमुझे दे दिए पैसे चारकौन खिलौने लेता हूँ मैंतुम भी मन में करो विचार।तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।तोता, बिल्ली, मोटर, रेलपर माँ, यह मैं कभी न लूँगाये तो हैं बच्चों के खेल।मैं तो तलवार खरीदूँगा माँया मैं लूँगा तीर-कमानजंगल में जा, किसी ताड़काको मारुँगा राम समान।तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-को मैं मार भगाऊँगायों ही कुछ दिन करते-करतेरामचंद्र मैं बन जाऊँगा।यही रहूँगा कौशल्या मैंतुमको यही बनाऊँगा।तुम कह दोगी वन जाने कोहँसते-हँसते जाऊँगा।पर माँ, बिना तुम्हारे वन मेंमैं कैसे रह पाऊँगा।दिन भर घूमूँगा जंगल मेंलौट कहाँ पर आऊँगा।किससे लूँगा पैसे, रूठूँगातो कौन मना लेगाकौन प्यार से बिठा गोद मेंमनचाही चींजे़ देगा।
खिलौनेवाला / सुभद्राकुमारी चौहानवह देखो माँ आजखिलौनेवाला फिर से आया है।कई तरह के सुंदर-सुंदरनए खिलौने लाया है।हरा-हरा तोता पिंजड़े मेंगेंद एक पैसे वालीछोटी सी मोटर गाड़ी हैसर-सर-सर चलने वाली।सीटी भी है कई तरह कीकई तरह के सुंदर खेलचाभी भर देने से भक-भककरती चलने वाली रेल।गुड़िया भी है बहुत भली-सीपहने कानों में बालीछोटा-सा 'टी सेट' हैछोटे-छोटे हैं लोटा थाली।छोटे-छोटे धनुष-बाण हैंहैं छोटी-छोटी तलवारनए खिलौने ले लो भैयाज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।मुन्नू ने गुड़िया ले ली हैमोहन ने मोटर गाड़ीमचल-मचल सरला करती हैमाँ ने लेने को साड़ीकभी खिलौनेवाला भी माँक्या साड़ी ले आता है।साड़ी तो वह कपड़े वालाकभी-कभी दे जाता हैअम्मा तुमने तो लाकर केमुझे दे दिए पैसे चारकौन खिलौने लेता हूँ मैंतुम भी मन में करो विचार।तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।तोता, बिल्ली, मोटर, रेलपर माँ, यह मैं कभी न लूँगाये तो हैं बच्चों के खेल।मैं तो तलवार खरीदूँगा माँया मैं लूँगा तीर-कमानजंगल में जा, किसी ताड़काको मारुँगा राम समान।तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-को मैं मार भगाऊँगायों ही कुछ दिन करते-करतेरामचंद्र मैं बन जाऊँगा।यही रहूँगा कौशल्या मैंतुमको यही बनाऊँगा।तुम कह दोगी वन जाने कोहँसते-हँसते जाऊँगा।पर माँ, बिना तुम्हारे वन मेंमैं कैसे रह पाऊँगा।दिन भर घूमूँगा जंगल मेंलौट कहाँ पर आऊँगा।किससे लूँगा पैसे, रूठूँगातो कौन मना लेगाकौन प्यार से बिठा गोद मेंमनचाही चींजे़ देगा।